Sunday, 14 February 2016

ये नज़दीकियाँ



ये नज़दीकियाँ
जमीन पर पाँव रहे ने नहीं देतें ,
शिकायत कैसे करें जब समय ही ये गुजारिश करें?
किन लफ़ज़ों मे कहें अपनी दिल की बातें ?
इस कश्मकश में ना गुजर जाएं सारी रातें।

ये नज़दीकियाँ
जो आखों से ना दिखें पर मन में नजर आएं,
जिसे कहकर नहीं, छूकर बताया जाएं।
नजदीक ना होकर भी करीब आजायें,
 जता ने से  नहीं जस्बातों से बंधा जाएं। 

ये नज़दीकियाँ
हर एक पल में जिंदगी भर दें,
खोए हुए को रास्ता दिखा दें,
सरे दुःखों को ख़ुशी में बदल दें,
दो दिलों को हमेशा के लिए मिला दें। 

ये नज़दीकियाँ, ये नज़दीकियाँ, ये नज़दीकियाँ।

It's not that complicated!

If you doubt when all seems great,   Know what you see, can be manipulated! Truth is always stranger than fiction,  Because your gut can sen...