Wednesday, 17 December 2014

हमसाथी


ना जाने हम कहाँ आए हैं?
याद तो बस इतना है की हम साथ हैं| 

तुम्हारे हाथोंका मेरे हाथोंसे टकराना 
हलकेसे हमारी उँगलिओंका उलझना 
वो सारी अनकहीं बातें समझना 
एकदूजेके होने का एहेसास होना

ना जाने हम कहाँ आए हैं? 
याद तो बस इतना है की हम साथ हैं| 

दबी दबी  सांसोंका रोकना 
आहिस्ता होटोंसे टोकना 
हर एक पल को दिल से छूना 
एकदूजे में मदहोशिसे खो जाना 

क्यों जाने हम कहाँ आए हैं? 
जब हम साथ है तो जिंदगी मुस्कुराती है| 

हम साथ हैं तो पतझड़ में  बहार आती है 
हम साथ है तो धरती पे सारें रंग सजतें हैं 
हम साथ हैं तो सुर संगीत गातें हैं 
हम साथ है तो मौसम गुनगुनाता है 

क्यों जाने हम कहाँ आए हैं? 
जब हम साथ है तो जिंदगी मुस्कुराती है| 

If I am a memory

  Our meeting was a stroke of serendipity, There was no history neither familiarity. Yet we bonded like a house on fire! So if I am a memory...